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Betul Ki Taza Khabar: सावन में हुआ अद्भुत चमत्‍का शिवलिंग पर आकर बैठा सफेद नाग, दर्शन के लिए श्रध्‍दालुओं की उमड़ी भीड़

By Ankit

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Betul Ki Taza Khabar: सावन मास में भगवान भोलेनाथ की भक्ति का भाव श्रद्धालुओं में सबसे ज्यादा होता है। ऐसे में अचरज में डालने वाली कोई घटना इस श्रद्धा को और बढ़ा देती है। इसका नजारा बैतूल के घोड़ाडोंगरी इलाके के नीम पानी गांव में देखने को मिला। यहां एक शिव मंदिर में चलकर आए नागराज ने 12 घंटे से ज्यादा शिवलिंग के पास गुजारे और वापस चला गया।खास बात यह है की मंदिर में पहुंचा नाग दुर्लभ प्रजाति का था।

बीते बुधवार की रात घोड़ाडोंगरी तहसील के नीमपानी गांव के शिव मंदिर में शिवलिंग पर एक सांप आकर बैठ गया। मंदिर में शिवलिंग पर सांप को बैठा देख एक-एक कर ग्रामीणों की भीड़ मंदिर में एकत्रित हो गई। ग्रामीणों ने इसे चमत्कार मान कर पूजा अर्चना करना शुरू कर दिया।

ग्रामीण संदीप नागवंशी ने बताया कि बुधवार देर रात मंदिर में आरती करने के बाद ग्रामीण अपने अपने घर चले गए। कुछ देर बाद कुछ ग्रामीण मंदिर के पास घूमते हुए पहुंचे तो मंदिर में सांप दिखाई दिया। यह सांप शिवलिंग की ओर जा रहा था। देखते-देखते सांप शिवलिंग पर जाकर बैठ गया। जिसकी सूचना तेजी से गांव में फैली। जिस पर ग्रामीण मंदिर में एकत्रित हो गए। ग्रामीणों ने मंदिर में पहुंचकर पूजा अर्चना की। ग्रामीण ने सांप को दूध पिलाया। यह सांप आज गुरुवार सुबह तक मंदिर में ही बैठा रहा। इसके बाद यह सांप मंदिर से निकल कर खेतों की ओर चला गया।

इस खबर में क्या है,

दुर्लभ प्रजाति का है सांप

सांपों के संरक्षण का कार्य कर रहे सारनी निवासी आदिल खान ने बताया कि यह ट्रींकेट सांप है। जो की बीमारी की वजह से सफेद रंग का हैं। यह बीमारी ऐल्बिनिज़म या ल्युकेजिम एक दुर्लभ आनुवंशिक स्थिति है। जो कुछ जीनों के उत्परिवर्तन के कारण होती है। जो मनुष्य अथवा जानवरों (सरीसृपों) के शरीर में उत्पादित मेलेनिन की मात्रा को प्रभावित करती है। मेलेनिन त्वचा व आंखों इत्यादि के पिग्मेंटेशन (रंग) को नियंत्रित करता है। इस तरह के सांपों में ल्युकेजिम की वजह से इनकी त्वचा पर पिगमेंटेशन नहीं होता है और उनका पूरा शरीर सामान्य रंग की जगह सफेद रंग का हो जाता है।

इसकी आंखें काली और रंग सफेद है और यह ट्रींकेट स्नेक है, इसलिए इसे leucistic Trinket snake कहना उचित होगा। सफेद रंग के सांप कम ही दिखाई देते हैं, इसलिए इन्हें दुर्लभ माना जाता है। ट्रींकेट स्नेक घनी झाड़ियों और वृक्षों पर रहते हैं। वहीं सफेद होने की वजह से ये लोगों का ध्यान भी जिज्ञासा के साथ अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। वर्ष 2018 में ऐसे ही बैतूल के सारनी में एलबिनो कोबरा मिला था।

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