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IAS Success Story: मां ने बेचे गहने, गैस भराने तक के पैसे भी नहीं, मजदूरी कर पढ़ाया, बेटे ने यूपीएससी पास कर रचा इतिहास

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IAS Success Story: मां ने बेचे गहने, गैस भराने तक के पैसे भी नहीं, मजदूरी कर पढ़ाया, बेटे ने यूपीएससी पास कर रचा इतिहास

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IAS Success Story: ऊंचागांव ब्लॉक के गांव रघुनाथपुर निवासी यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा-2024 में 239वीं प्राप्त करने वाले पवन कुमार की कहानी थोड़ी अलग है। बारिश में टपकते छप्पर के घर में पढ़ते समय भी पवन कुमार का हौसला नहीं टूटा। उनकी आंखों में परिवार के हालातों को सुधारने और देश के लिए कुछ कर गुजरने का सपना था। उनके इस सपने को साकार करने के लिए पूरा परिवार जुट गया।

मां ने अपने गहने बेच दिए तो पिता और छोटी तीनों बहनें दूसरों के खेतों में मजूदरी करने लगे, जिससे पवन की पढ़ाई में कोई दिक्कत न आए। पवन ने भी कड़े संघर्ष के बाद माता-पिता और बहनों ने के सपने को साकार कर दिया। उन्होंने यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा-2024 में 239वीं रैंक प्राप्त की है। उनकी इस उपलब्धी को हर कोई सराह रहा है।

पिता मुकेश और माता सुमन मनरेगा मजदूर हैं सबसे बड़ी बहन गोल्डी और दूसरी बहन सृष्टि ने बीए कर रही हैं सबसे छोटी बहन सोनिया कक्षा 12 की पढ़ाई कर रही है पवन ने 2017 में नवोदय स्कूल से इंटर की परीक्षा पास की थी। इसके बाद इलाहाबाद से बीए की परीक्षा पास की बाद में दिल्ली एक कोचिंग सेंटर में सिविल सर्विस की तैयारी शुरू कर दी कुछ विषयों की कोचिंग ली और वेबसाइट की मदद ली दो साल तक कोचिंग के बाद अधिकतर समय उन्होंने सेल्फ स्टडी की पवन कुमार के परिवार का कहना है कि तीसरे प्रयास में उन्हें यह सफलता मिली है इस कामयाबी में उन्हें माता-पिता का भरपूर सहयोग मिला है।

IAS Success Story: मां ने बेचे गहने, गैस भराने तक के पैसे भी नहीं, मजदूरी कर पढ़ाया, बेटे ने यूपीएससी पास कर रचा इतिहास

Credit – Social Media

मां ने पवन की पढ़ाई के लिए बेच दिए गहने

पवन के परिवार में पिता मुकेश कुमार के अलावा उनकी मां सुमन देवी, बहन गोल्डी, सृष्टि और सोनिका हैं। गोल्डी ने बीए पास किया है और सृष्टि बीए की परीक्षा दे रही है। जबकि तीसरे नंबर की बहन सोनिका इंटरमीडिएट की छात्रा है। पिता ने बताया कि पवन ने इलाहाबाद से बीए की परीक्षा पास करने के बाद कहा कि वह अब सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी करेगा। उसके बाद उनकी मां ने गहने बेच दिए। पवन के पास मोबाइल तक नहीं था।

उसे 3200 रुपये का सेकेंड हैंड मोबाइल खरीदकर दिया। जरुरत पड़ने पर चार प्रतिशत की ब्याज पर रुपये लिए, जिससे पवन की पढ़ाई में दिक्कत न आए। कहा कि इसके लिए परिवार के पांचों सदस्यों ने खेतों में मजदूरी की। ब्याज के काफी रुपये अभी भी उधार हैं।

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पवन की बचपन से ही IAS बनने की तमन्ना थी

पवन के पिता मुकेश कुमार ने बताया, ‘बहुत मुसीबत के साथ मैंने अपने बेटे को पढ़ाया है। बारिश के दिन में घर कच्चा होने से चूल्हा नहीं जल पाता था 9वीं कक्षा में उसका सिलेक्शन नवोदय विद्यालय में हो गया। वहां से 12वीं करने के बाद इलाहाबाद से बीए किया फिर जेएनयू में एमए के लिए एडमिशन लिया। लेकिन एक साल बाद ही छोड़ दिया पवन की बचपन से ही आईएएस बनने की तमन्ना थी पिछली बार सिर्फ 1 नंबर कम रह जाने से उसका चयन नहीं हुआ था’।

Source – Internet

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