Betul News: बैतूल। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के खिलाफ नाबालिक विद्यार्थियों से जबरन सदस्यता अभियान चलाने और पैसे वसूलने के आरोप में एनएसयूआई ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। जिला समन्वयक हर्ष भुसारी के नेतृत्व में एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि एबीवीपी के सदस्य स्कूलों में घुसकर 5 से 15 वर्ष के बच्चों से जबरदस्ती सदस्यता करवा रहे हैं और उनसे पैसे वसूल रहे हैं। यह अभियान अधिकारियों और स्कूल स्टाफ के समर्थन से चलाया जा रहा है, जिससे छात्रों को जबरन राजनीतिक दलदल में धकेला जा रहा है।
एनएसयूआई ने ज्ञापन में कहा कि नाबालिक बच्चों को जबरन राजनीतिकरण करना गलत है और यह समय उन्हें अच्छी शिक्षा और सामाजिक आचरण सीखने का है। हर्ष भुसारी ने कहा कि यदि एबीवीपी की गुंडागर्दी और नाबालिक छात्रों की सदस्यता पर तत्काल रोक नहीं लगाई गई, तो एनएसयूआई उग्र आंदोलन करेगी और इसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। ज्ञापन सौंपने वालों में मोहित आर्य, लक्की नागले, सेण्टी वाघमारे, मयंक बिसोने, सचिन बिसोने, अंश बिहारे, सिद्दार्थ मोर्ले, छोटू यादव, विकास नहरिया और अन्य पदाधिकारी शामिल थे।
एबीवीपी की गुंडागर्दी पर रोक लगाना जरूरी
एनएसयूआई का कहना है कि एबीवीपी द्वारा स्कूलों में घुसकर जबरन सदस्यता अभियान चलाना और बच्चों से पैसे वसूलना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि बच्चों के मानसिक और शैक्षणिक विकास के लिए भी हानिकारक है। एनएसयूआई ने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है ताकि बच्चों को राजनीतिक दबाव से मुक्त रखा जा सके और उन्हें एक स्वस्थ और सुरक्षित शैक्षणिक वातावरण मिल सके।
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उग्र आंदोलन की चेतावनी
एनएसयूआई ने स्पष्ट किया कि यदि प्रशासन ने इस मामले में सख्त कदम नहीं उठाए, तो वे सड़कों पर उतरकर उग्र आंदोलन करेंगे। एनएसयूआई का कहना है कि बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना उनकी प्राथमिकता है और वे इसके लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। हर्ष भुसारी ने कहा कि एबीवीपी की गुंडागर्दी और दबाव की राजनीति को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इस मामले में प्रशासन की निष्क्रियता को लेकर भी जवाबदेही तय की जाएगी।
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बच्चों का भविष्य दांव पर
एनएसयूआई का कहना है कि स्कूलों में एबीवीपी के इस अभियान से बच्चों का भविष्य दांव पर है। उन्हें राजनीतिक दलदल में धकेलकर उनकी शिक्षा और मानसिक विकास को बाधित किया जा रहा है। एनएसयूआई ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि बच्चों के साथ हो रहे इस अन्याय को रोका जाना चाहिए और इसके लिए प्रशासन को तुरंत कदम उठाने चाहिए।
ज्ञापन में यह भी बताया गया कि बच्चों को जबरन सदस्य बनाकर उन्हें राजनीतिक उपयोग के लिए तैयार किया जा रहा है, जो कि पूरी तरह से अस्वीकार्य है।