Betul Health Dipartment:(बैतूल)। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सुरेश बौद्ध ने बताया कि शुक्रवार 23 जून को एएनएमटीसी टिकारी बैतूल में जिले के विकासखंडों एवं जिला अस्पताल से संबंधित मातृ एवं शिशु मृत्यु के प्रकरणों की समीक्षा क्षेत्रीय संयुक्त संचालक स्वास्थ्य भोपाल डॉ. नीरा चौधरी द्वारा की गई। बैठक में उप संचालक नर्सिंग एवं मेटरनल हेल्थ श्रीमती राजकुंवर चौहान, डिवीजनल आरएमएनसीएच कंसल्टेंट डॉ सविता गौतम, स्टेट कंसल्टेंट मेटरनल हेल्थ डॉ प्राची अग्निहोत्री एवं प्रोग्राम ऑफीसर जपाईगो डॉ भार्गव गायकवाड द्वारा भी समीक्षा की गई।
डॉ चौधरी ने कहा कि गर्भवती महिला की जान लापरवाही से ऐसे चली जाती है जैसे मुट्ठी में बंद रेत फिसलती है। मातृ मृत्यु हमारे मस्तक पर एक कलंक के समान है, उनके परिजनों की सिसक कानों में सीसे की तरह पिघलती है इसलिये अपनी कमियों को सुधारें, और गर्भवती महिला की जान बचाने के लिये विभाग के प्रत्येक संबंधित चिकित्सक, अधिकारी, कर्मचारी अपनी जान लडा दें। प्रबंधन की छोटी-छोटी लापरवाहियों से हम कीमती माताओं की जानों को गंवा देते हैं, जो घोर निराशाजनक है। स्वास्थ्य विभाग के प्रत्येक जिम्मेदार अपनी गल्तियों को समझें एवं कार्य शैली में सुधार लायें, मरीज के रेफरल में समय प्रबंधन बहुत आवश्यक है। मरीज के उपचार में निर्णय तत्काल लें, प्रोटोकॉल का पालन करें एवं मॉनीटरिंग दुरूस्त करें। मिल जुलकर मॉ एवं शिशु सुरक्षा के लिये कार्य करें। रिपोर्टिंग सिस्टम को सुधारें एवं सदैव बेहतर कार्य करें। मातृ एवं शिशु की सुरक्षा एवं जान बचाने में कोई कोताही न हो। उन्होंने कहा कि लापरवाहों पर कड़ी कार्यवाही की जायेगी।
श्रीमती गीता पति सदानंद विकासखंड घोड़ाडोंगरी के प्रकरण में डॉ चौधरी ने निर्देशित किया कि जिला चिकित्सालय में स्त्री रोग चिकित्सक द्वारा ऑन कॉल न करके ऑन फ्लो ड्यूटी की जाये, यदि चिकित्सकों की कमी है तो मरीजों को सुविधाऐं प्रदान करने हेतु श्रेणी एक (क्लास वन) स्त्री रोग विशेषज्ञ भी ड्यूटी देंगे। गर्भवती महिला को मिलने वाले उपचार के गोल्डन पीरियड को बिल्कुल न गवांयें। सेवा देने में किसी प्रकार की देरी न करें। लापरवाही पाये जाने पर स्त्री रोग चिकित्सक डॉ ईशा डेनियल को कारण बताओ सूचना पत्र जारी करने हेतु निर्देशित किया। उन्होंने निर्देशित किया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर से भी मरीज को गंभीर स्थिति के प्रबंधन के लिये सीधे मेडिकल कॉलेज भेजे जाने के लिये चिकित्सक को पूर्ण अधिकार है। जिला चिकित्सालय बैतूल से जल्दबाजी में किये जाने वाले रेफरल में कमी लायें। उन्होंने कहा कि रेफरल एवं मैनेजमेंट प्रोटोकॉल का प्रशिक्षण स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं स्टाफ नर्स को राज्य स्तर से प्रदान किया जायेगा।
श्रीमती सोनम पति मनोज इवने विकासखंड भीमपुर के प्रकरण में 62 घण्टों तक शल्य क्रिया न किये जाने की देरी के कारण, मरीज के हित में कोई निर्णय न लिये जाने एवं चिकित्सकों की समेकित लापरवाही के कारण ड्यूटी डाक्टर डॉ रूपल श्रीवास्तव, डॉ ईशा डेनियल एवं डॉ प्रतिभा रघुवंशी स्त्री रोग विशेषज्ञ को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किये जाने हेतु निर्देशित किया। उन्होंने कहा कि जिला चिकित्सालय बैतूल में मरीजों की वाइटल्स चार्टिंग बंद है इसे पुनः प्रारंभ किया जाये। मरीज के इलाज के प्रोटोकॉल को फॉलो किया जाये। उन्होंने कम्युनिटि बेस एवं फेसिलिटी बेस मेटरनल डेथ रिव्यू समय पर करने हेतु निर्देशित किया। स्वास्थ्य कार्यकर्ता एचबी की जांच हीमोग्लोबिनोमीटर या कार्ड जिससे भी करें उसका उल्लेख अवश्य करें। प्रकरण में लापरवाही के कारण भीमपुर की एएनएम श्रीमती पारकला नर्रे की वेतनवृद्धि रोकने के निर्देश दिये। उन्होंने निर्देशित किया कि हर गर्भवती महिला का सीबीसी (कम्प्लीट ब्लड काउंटिंग ) व्हीएचएनडी के दिन किया जाये।
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श्रीमती सीमा पति शिवराम विकासखंड भीमपुर के प्रकरण में ड्यूटी डाक्टर के नोट्स उपलब्ध नहीं हैं, केस शीट में विस्तृत नोट डालकर नाम लिखने व हस्ताक्षर करने हेतु उन्होंने निर्देशित किया। प्री एनेस्थेटिक चेकअप नहीं किये जाने, मरीज से सीजर की सहमति नहीं लिये जाने, सीजर में 6 घण्टे की देरी किये जाने के कारण डॉ ईशा डेनियल स्त्री रोग चिकित्सक को कारण बताओ सूचना पत्र जारी करने हेतु निर्देशित किया गया। उन्होंने कहा कि फेसिलिटी डेथ एक गंभीर लारवाही है। मरीज के डाक्युमेंटेशन पार्ट पर ज्यादा फोकस करें।
श्रीमती पूनम पति पिंटू बुआडे विकासखंड मुलताई एवं श्रीमती वर्षा पति बृजेश विकासखंड चिचोली के प्रकरण की भी विस्तृत समीक्षा की गई। डॉ चौधरी ने निर्देशित किया कि कम्युनिटी बेस एमडीआर में कोई लापरवाही न करें। उच्च जोखिम गर्भावस्था को प्रापरली टेªक नहीं कर पाने के कारण मातृ मृत्यु होतीं हैं। खतरे के चिन्हों की सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को जानकारी होनी चाहिये। एएनसी चेकअप नियमित किये जायें। संभावित प्रसव की तारीख के एक हफ्ते पहले बर्थ वेटिंग होम में गर्भवती स्त्री को भर्ती कराया जाये। पीआईएच की जिला स्तरीय नीति निर्धारित की जाये। उन्होंने खंड चिकित्सा अधिकारियों को निर्देशित किया कि प्रत्येक प्रकरण के स्पष्ट आंकड़े प्रस्तुत किये जायें। किसी भी प्रकार की लापरवाही के संबंध में मैदानी कर्मचारियों पर कठोर कार्यवाही की जायेगी।
डॉ बौद्ध ने बैठक में कहा कि सम्पूर्ण ऊर्जा के साथ कार्य करें। सदैव सीखने की प्रक्रिया को अपने जीवन में लागू करें। मॉ एवं शिशु की जान बचाना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। जिस घर में मातृ मृत्यु होती है वहां बच्चों का जीवन बदल जाता है। सम्पूर्ण परिवार पर विपरीत असर पड़ता है और परिवार की दशा ही परिवर्तित हो जाती है।
बैठक में सीएमएचओ डॉ सुरेश बौद्ध, जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मनोज हुरमाडे, जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ अरविन्द भट्ट, सिविल सर्जन डॉ जगदीश घोरे, आरएमओ डॉ रानू वर्मा, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ आर गोहिया, डॉ प्रतिभा रघुवंशी, स्त्री रोग चिकित्सक डॉ ईशा डेनियल, डॉ रूपल श्रीवास्तव, निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ चित्रकला पाटिल, जिला प्रशिक्षण अधिकारी श्रीमती मधुमाला शुक्ला, डीपीएम डॉ विनोद शाक्य, डीसीएम श्री कमलेश मसीह, खंड चिकित्सा अधिकारी, बीपीएम, बीसीएम सहित अन्य विभागीय मैदानी कर्मचारी उपस्थित रहे।