Betul Samachar:(बैतूल)। गुरु और शिष्य के बीच केवल शाब्दिक ज्ञान का ही आदान प्रदान नहीं होता था बल्कि गुरु अपने शिष्य के संरक्षक के रूप में भी कार्य करता था। उसका उद्द्येश्य रहता था कि गुरु उसका कभी अहित सोच भी नहीं सकते। यही विश्वास गुरु के प्रति उसकी अगाध श्रद्धा और समर्पण का कारण रहा है। गुरू शिष्य के रिश्ते की महत्ता प्राचीन काल से ही सिर्फ भारत में देखने को मिलती है। जहां कई बार उल्लेख मिलता है कि शिष्य के भविष्य को संवारने के लिए गुरूओं ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। गौठाना स्कूल के छात्र छात्राओं का परीक्षा केंद्र शहर के एमएलबी स्कूल को बनाया गया।
स्कूल में 8वीं में अध्ययनरत छात्र उबेद अहमद नब्बे प्रतिशत विकलांग व उसके अभिभावक की आर्थिक स्थिति कमजोर है। छात्र उबेद के माता-पिता मजदूरी कर पालन पोषण करते हैं। विज्ञान के पेपर के दिन उबेद को परीक्षा केन्द्र पर पहुंचने में दिक्कतों को देखते हुए समाजसेवी और शिक्षा के क्षेत्र में हमेशा नवाचार करने वाले शिक्षक मदनलाल डढोरे के द्वारा छात्र की स्थिति को देखते हुए की परीक्षा से छात्र वंचित ना रह सके की भावना को देखते शिक्षक द्वारा अपनी कार से परीक्षा केंद्र तक व परीक्षा हाल तक परीक्षा दिलवाने के लिए गोद में बैठाकर छात्र उबेद को पहुंचाया गया।
इस संबंध मे शिक्षक श्री डढोरे ने कहा कि परीक्षा केन्द्र तक उबेद को पहुंचाकर मुझे बहुत आत्म शांति हुई है मैं अपने जीवन को धन्य समझता हूं कि मैं दुसरे के काम आया। परीक्षा केंद्र पर उपस्थित छात्र छात्राओं व शिक्षकों ने डढोरे के इस कार्य की सराहना करते हुए कहा कि निश्चित ही समाज में ऐसे संस्कारवान शिक्षको की आवश्यकता है जिससे कि सभ्य समाज का निर्माण किया जा सके।