दशहरा पर शस्त्र पूजा क्यों? जानें विजयादशमी पर सैकड़ों साल पुरानी धार्मिक मान्यता

दशहरा बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत का पर्व है दशहरा इस बार दशहरा का पर्व 24 अक्टूबर को मनाया जा रहा है.

दशहरा

9 दिनों की शक्ति उपासना के बाद जब हम 10 वें दिन जीवन के हर क्षेत्र में विजय की- कामना के साथ चंद्रिका का स्मरण करते हुए शस्त्रों का पूजन करते है.

शक्ति उपासना

छत्रपति शिवाजी महाराज मान्यता यह भी है कि छत्रपति महाराज शिवाजी ने इसी दिन मां दुर्गा को प्रसन्न करके भवानी तलवार प्राप्त की थी.

प्राचीन समय में राजा महाराजा दशहरे के दिन का इंतजार युद्ध पर जाने के लिए किया करते थे एसी मान्यता थी कि इसी दिन युध्य पर जाने से विजय प्राप्त होती है.

विजय

मां दुर्गा ने महिषासुर नाम के राक्षस का अंत करके उसके आतंक से देवताओं को मन बुराई का अंत किया था.

बुराई का अंत

ऐसी भी मान्यता है कि वहीं इस दिन को ब्राह्मण विद्या ग्रहण करने के लिए भी चुनते थे वो एसा मानते थे की इस दिन से शिक्षा ग्रहण करना शुभ होता है.

मान्यता

इस दिन शस्त्र पूजन के विधान की परंपरा शादियों पुरानी है. हमेशा से लोग इस दिन को विजयउत्सव के रूप में देखते आए है.

विजयउत्सव

शस्त्र पूजन की परंपरा का आयोजन खास तौर से रियासतों और रजवाड़ो में आज भी बहुत धूमधाम के साथ होता है.

रजवाड़ो

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