Success Story: 63 साल से युवाओं के दिलों पर राज कर रही बुलेट, लेकिन बनाना नहीं था आसान, ऐसे कंपनी ने तय किया फर्श से अर्श का सफर
Success Story: Bullet has been ruling the hearts of youth for 63 years, but making it was not easy, this is how the company decided the journey from floor to height.

Success Story, Royal Enfield : सफलता का स्वाद हमेशा मीठा होता है। लेकिन, सफलता की कहानियां उन्हीं की सुनाई जाती हैं, जिन्होंने बेहद प्रतिकूल समय में भी इसे हासिल किया हो। भारतीय सड़कों पर दोपहिया सेक्शन की राजा मानी जाने वाली रॉयल इनफील्ड (Royal Enfield) बुलेट की सफलता भी ऐसी ही सुनाई जाने वाली कहानी है। पिछले कुछ सालों में देश में पावर बाइक रॉयल एनफील्ड ने कई नए मॉडल लांच कर युवाओं को फिर से अपना दीवाना बना लिया है।
जब कभी भी आप अपने पास थड़-थड़ की आवाज सुनते हैं तो आपको पक्का पता होता है कि कोई बुलेट बगल से गुजर रही है। भारत में युवाओं के बीच स्टाइल और एलीट क्लास की पसंदीदा पावर बाइक बन चुकी बुलेट अब दुनिया भर में युवाओं की पसंद बनने वाली है। आज रॉयल एनफील्ड (Royal Enfield) मुनाफा कमाने वाली सबसे बड़ी कंपनी बन गई है। लेकिन क्या आपको पता है साल 1994 में एक समय ऐसा था जब बुलेट दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गई थी।
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बुलेट की पेरेंट कंपनी (Bullet Parent company) इसे बंद करना चाहती थी। भारत में युवाओं के बीच स्टाइल और एलीट क्लास की पसंदीदा पावर बाइक बन चुकी बुलेट अब दुनिया भर में युवाओं की पसंद बनने वाली है। इस शख्स का नाम सिद्धार्थ लाल है। 26 साल के युवा सिद्धार्थ लाल ने बुलेट को दिवालिया होने की कगार से देश की सबसे प्रॉफिटेबल कंपनी बना दिया है।

इस तरह की शुरुआत
सिद्धार्थ लाल ने शहर के 18-35 साल के युवाओं को टारगेट करते हुए साल 2001 में 350 सीसी बुलेट इलेक्ट्रा उतारी थी। इसे कामयाबी मिली और युवाओं को ये बहुत पसंद आई। इसके बाद कंपनी ने साल 2002 में थंडरबर्ड पेश की। इसके बाद कंपनी मुनाफे में पहुंचने लगी। सिद्धार्थ ने रीटेल आउटलेट्स और मार्केटिंग पर काफी ध्यान दिया। उन्होंने ऐसे आउटलेट्स शुरू किए जहां बाइक खरीदने वालों को बेहतर एक्सपीरियंस दिया जा सके।
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नए मॉडल से जीता दिल (Success Story)
सिद्धार्थ लाल ने बुलेट के थंडरबर्ड और इलेक्ट्रा नाम के नए मॉडल पेश किए, इससे देशभर के युवाओं का दिल जीतने में उन्हें काफी मदद मिली। सिद्धार्थ को बाइकिंग पसंद है और वह बाइक लेकर पहाड़ों पर घूमने जाते हैं। सिद्धार्थ लाल बाइक से लेह और लद्दाख जाना चाहते थे, लेकिन वह नहीं जा पाए। साल 2010 में वह लेह के एक छोटे से गांव में फंस गए थे।
इसमें बादल फटने की वजह से लेह का यह हिस्सा पूरे देश से अलग हो चुका था। इसी समय सिद्धार्थ लाल को यह आइडिया आया कि एक ऐसी भरोसेमंद बाइक बनाई जाए जो मुश्किल परिस्थितियों में भी युवाओं का साथ ना छोड़े और फिर बुलेट का कायाकल्प किया गया।
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बाइक के लिए बेच दिया ट्रैक्टर का बिजनेस
सिद्धार्थ ने रॉयल इनफील्ड के लिए आयशर मोटर्स के ट्रैक्टर बिजनेस को बेच दिया। साल 2005 में आयशर ने ट्रैक्टर्स एंड फार्म इक्यूपमेंट लिमिटेड को बेच दिया। आयशर मोटर्स का पहला बिजनेस ट्रैक्टर ही था। इसके बाद उन्होंने ट्रक बिजनेस का भी 46 फीसदी बिजनेस साल 208 में स्वीडिश कंपनी वॉल्वो को बेच दिया। यह काफी कठिन फैसला था, लेकिन इसी के बूते इनफील्ड अपने बाइक के दाम कम रख सकी।
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लोगों की बदली सोच (Success Story)
Bulet का मेड लाइक ए गन है। साल 1960 में इंग्लैंड में रॉयल इनफील्ड ने में अपनी पहली मोटरसाइकिल बनाई। इसके बाद Royal Enfield कंपनी अपने प्रोडक्ट और डिजाइन में इनोवेशन करती रही। आज जो बुलेट देखने को मिल रही हैं वह उसी इनोवेशन का रिजल्ट है।