Kaju Katli History : कैसे हुआ था काजू कतली का आविष्कार, जानें इस मिठाई के दिलचस्प इतिहास के बारे में…
Kaju Katli History: How was Kaju Katli invented, know about the interesting history of this sweet...

Kaju Katli History : कैसे हुआ था काजू कतली का आविष्कार, जानें इस मिठाई के दिलचस्प इतिहास के बारे में…
Kaju Katli History : भारत का हर त्यौहार मिठाइयों के बिना बिल्कुल अधूरा है. हम इनके बिना किसी भी त्यौहार की कल्पना ही नहीं कर सकते. काजू कतली हर किसी की फेवरेट होती हैं. इसलिए जब भी कुछ मीठा खाने की बात होती है, तो काजू कतली का ही ख्याल मन में आता है. हालांकि, पिछले कुछ सालों से एक मिठाई ने कुछ महंगी होने लोगों के दिलों में खास जगह बना ली है यह है काजूकतली.
अधिक दाम की माने जाने वाली ड्रायफ्रूट वाली इस मिठाई को लोग आजकल गिफ्ट के तौर पर देना भी खूब पसंद करते हैं. लेकिन यह मिठाई सबसे पहले कब बनी और इसे किसने ईजाद किया, इस पर हमें एक रोचक कहानी मिलती है जिसका संबंध मराठाओं और मुगल दोनों से है.
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Kaju Katli History : कैसे हुआ था काजू कतली का आविष्कार, जानें इस मिठाई के दिलचस्प इतिहास के बारे में…
क्या है इतिहास? – Kaju Katli History
कतली का इतिहास बेहद दिलचस्प रहा है और इसकी कहानी भी बहुत सिंपल है. कहा जाता है कि काजू कतली का आविष्कार मुगल काल में हुआ था जिसे सबसे पहले जहांगीर के शासन काल में बनाया गया था. कहा जाता है कि जहांगीर ने काजू कतली को सिख गुरु को सम्मान देने के लिए शाही रसोई में काजू की बर्फी गाढ़े दूध या रबड़ी, कुचले हुए काजू और बादाम से बनाई जाती थी. पहले इस मिठाई को काजू-बर्फी के नाम से भी जाना जाता था, लेकिन वक्त के साथ काजू कतली कहा जाने लगा.
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Kaju Katli History : कैसे हुआ था काजू कतली का आविष्कार, जानें इस मिठाई के दिलचस्प इतिहास के बारे में…
इसको लेकर अलग-अलग है कहानियां – Kaju Katli History
कहा जाता है कि काजू कतली का आविष्कार 16वीं शताब्दी में मराठा साम्राज्य के शाही परिवार के लिए काम करने वाले एक मशहूर शेफ़ भीमराव ने किया था. भीमराव को एक नई मिठाई बनाने का काम सौंपा गया था जो शाही परिवार को प्रभावित कर दे. भीमराव ने पारसी मिठाई हलुआ ए फ़ारसी में प्रयोग के तौर पर बादाम की जगह काजू का इस्तेमाल किया और काजू कतली का आविष्कार हुआ.
एक कहानी यह भी है कि काजू कतली का आविष्कार मुगल काल में हुआ था. इसे सबसे पहले जहांगीर के शासन काल में बनाया गया था. कहा जाता है कि जहांगीर ने काजू कतली को सिख गुरु को सम्मान देने के लिए शाही रसोई में बनवाई थी. वहीं कुछ लोग कहते हैं कि जहांगीर के शाही बावर्ची ने दिवाली के दिन काजू, शक्कर, और घी से बनी एक मिठाई बनाई थी. इस मौके पर बांटी गई इस मिठाई को देश के अन्य क्षेत्रों में भी जल्दी ही प्रचलित हो गई.
काजू कतली एक पारंपरिक भारतीय मिठाई है. इसे घर पर बनाना बहुत मुश्किल नहीं है. इसमें भारी मात्रा में शुगर होती है. फिर भी यह गुलाब जामुन या जलेबी से भी बेहतर है क्योंकि वे दोनों सबसे पहले मैदा से बने होते हैं, तले हुए होते हैं और इनमें बहुत अधिक चीनी होती है.
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मुगलों से संबंधित कहानी – Kaju Katli History
कम लोग जानते हैं कि इस लोकप्रिय मिठाई (Kaju Katli History) के दो संस्करण हैं. दोनों ही भारत में स्वतंत्र रूप से ईजाद हुए थे और कम प्रचलित संस्करण की ईजाद के पीछे मराठाओं का योगदान बताया जाता है. 16वीं सदी में मराठाओं के रसोईघर में एक बावर्ची काम किया करता था जिसका नाम भीमराव था. इसका काम राजसी परिवार के लिए खास तरह के पकवान बनाना था. वहीं काजू कतली को लेकर एक और लोकप्रिय कहानी है जिसका संबंध मुगलों से बताया जाता है.
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1619 में जहांगीर के शासन में मुगल सिखों को अपने लिए बहुत बड़ा खतरा मानते थे. इस वजह से जहांगीर ने सिख गुरुओं (Kaju Katli History) सहित कई राजाओं को भी कैद कर लंबे समय तक ग्वालियर के किले में रखा था, जिनमें सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोविंद सिंह भी शामिल थे. जब जहांगीर ने देखा कि गुरु हरगोविंद सिंह कैदीयों को प्रवचन दे रहे हैं उन्हें लगा कि इससे बगावत हो सकती है. इस पर जहांगीर ने एक गुरु की आजादी के लिए एक शर्त रख दी कि जो कई गुरु के लबादे के साथ चिपक कर किले से बाहर निकलेगा उनके साथ उस शख्स को भी आजाद कर दिया जाएगा.
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इस पर गुरु गोविंद सिंह ने एक बहुत ही लंबा और बड़ा लबादा तैयार करवा लिया जिसे सभी कैदी पकड़ सकें. इस तरह से गुरु गोविंद सिंह ने चतुराई से सभी कैदी राजाओं को भी छुड़वा लिया यह सब दिवाली के दिन हुआ था और यह दिन बंदी चोर दिवस के नाम से भी जाना जाता है. उस दिन जहांगीर के शाही बार्वची ने काजू, शक्कर और घी से बनी एक मिठाई बनाई थी जो इस मौके पर बांटी गई थी. जिसके बाद यह जल्दी ही देश के अन्य क्षेत्रों में भी प्रचलित हो गई.