IAS Success Story: लालटेन में पढ़ाई कर ट्रक ड्राइवर का बेटा बना आईएएस अफसर, जानें संघर्ष की कहानी
IAS Success Story: Truck driver's son became IAS officer after studying in lantern, know the story of struggle

IAS Success Story: जब दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो और साथ ही कठिन मेहनत लगन हो तो इंसान अपनी मंजिल जरूर हासिल करता है चाहे मंजिल तक पहुंचने में कितनी ही कठिनाई क्यों ना आए लेकिन उन सब दिक्कतों को झेल कर इंसान अपने लक्ष्य को पा लेता है ऐसा ही कुछ कर दिखाया है राजस्थान के रहने वाले पवन कुमार कुमावत ने।

परिवार के हालात काफी से बुरे – IAS Success Story
पवन (IAS Pawan Kumar Kumawat) ने अपना बचपन और जवानी दोनो हीं बेहद खराब परिस्थितियों में बिताया है। इनके पिता रामेश्वर लाल पेशे से एक ड्राइवर थे और उनकी सैलरी महज 4 हजार रुपए थे। इतने रुपयों से परिवार का खर्च उठाना कितना मुश्किल था आप अंदाजा लगा सकते हो। लेकिन इन हालातों में भी उनके पिता ने हमेशा हीं अपने बेटे को पढ़ाई के लिए मोटिवेट किया ।

वर्ष 2003 के पहले, इनके परिवार का हालात इतने बुरे थे कि इनके पास एक पक्का मकान नहीं था। वे लोग नागौर के सोमणा में एक झोपड़ी में किसी तरह गुजारा किया करते थे। उस समय इनके पिता मिट्टी के बर्तन बनाया करते थे। लेकिन वर्ष 2003 में इनका पूरा परिवार नागौर आ गया और पिता ट्रक ड्राइवर बन गए।
नागौर में आने के बाद भी इनके घर की हालात में कोई सुधार नहीं आया। पवन जिस घर में रहते थे उस घर में लाइट नहीं थी। पढ़ाई करने के लिए पवन लालटेन का उपयोग किया करते थे।

कैसे मिली प्रेरणा – IAS Success Story
पवन कुमार कुमावत ने बताया कि उन्होंने 2006 में न्यूज़पेपर में हेडलाइन पढ़ी थी कि रिक्शा चालक का बेटा गोविन्द जेसवाल IAS बना है। उसी दिन से पवन कुमावत ने यह ठान लिया कि रिक्शा चालक का बेटा आईएएस बन सकता है तो ट्रक ड्राइवर का बेटा क्यों नहीं।
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2018 में हुआ RAS में सिलेक्शन – IAS Success Story
फिलहाल पवन कुमार बाड़मेर में जिला उद्योग केन्द्र में निर्देशक पद पर कार्यरत हैं। इसे लेकर पुवन ने बताया कि, ‘2018 में मेरा चयन RAS में हो गया था। इससे पहले भी मैं दो बार यूपीएससी के इंटरव्यू (IAS Success Story) दे चुका हूं लेकिन सफलता नहीं मिली। लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और तीसरी बार में आईएएस बनने में सफल हुआ हूं।
साल 2018 में पवन की शादी हो गई थी। उनकी दो साल का बेटा है. तमाम दिक्कतों के बाद भी पवन ने कभी हार नहीं मानी। आज पवन सफलता के इस शिखर पर हैं कि उनकी और उनके पिता रामेश्वर लाल की हर कोई चर्चा कर रहा है।