Deepak Chaurasia : नाबालिका के वीडियो को अश्लील बनाकर प्रसारित करने के मामले में बीते 6 जून को गुरुग्राम के पॉक्सो की अदालत में अजीत अंजुम सैयद सोहेल, चित्रा त्रिपाठी समेत सभी आरोपी पत्रकार अपने वकील के माध्यम से न्यायालय में हुए पेश। पीड़िता के वकील धर्मेंद्र कुमार मिश्रा व इस मामले की पैरवी कर रहे संस्था जन जागरण मंच के अध्यक्ष हरिशंकर कुमार के अनुसार इस मामले में 25 अगस्त 2022 को दीपक चौरसिया समेत सभी आरोपी पत्रकारों पर पॉक्सो एक्ट 14(1),23,आईटी एक्ट 67 B,469,471,120बी के तहत अपराध तय हो चुके हैं।
पीड़िता के वकील के अनुसार पुलिस जानबूझकर आरोपियों को बचाने में जुटी है, ताकि ट्रायल में सबूत के अभाव में आरोपियों को राहत मिल सके। मामले में SIT के अधिकारी के द्वारा कुछ ऐसे महत्पूर्ण दस्तावेज,जिसे जांच अधिकारी ने आरोपियों को बचाने के लिए रिकॉर्ड से गायब किया है। पीड़िता के वकील धर्मेंद्र मिश्रा ने न्यायालय के समक्ष पुलिस अधिकारीयों के विरुद्ध कार्यवाही के लिए एक अर्जी दायर की गई थी। जिसपर न्यायालय ने संज्ञान लेकर अपने आदेश में कहा :-
पीड़िता के वकील ने सीआरपीसी की धारा 311 के तहत एक आवेदन दिया था जिसपर पुलिस को जवाब देने का आदेश जारी किया है। तथा जांच आधिकारियों के द्वारा साक्ष्यों को नष्ट करने और इस न्यायालय के आदेश का अनुपालन न करने के लिए वर्तमान मामले के जांच अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच और आपराधिक कार्यवाही शुरू करने के आवेदन पर पुलिस अधिकारियों को हर बार उक्त शिकायतकर्ताओं का पता लगाने के लिए कई निर्देश जारी किए जा रहे हैं।
SHO पीएस पालम विहार, गुरुग्राम अदालत के समक्ष उपस्थित होने से बचते हैं और अपने अधीनस्थ को बिना किसी सहयोग के अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए नियुक्त करते हैं। अतिरिक्त SHO, पालम विहार, गुरुग्राम कोर्ट में मौजूद हैं और उन्होंने कहा है कि मूल शिकायत न्यायिक फाइल पर उपलब्ध नहीं है। गंभीर, यह तथ्य पहले से ही न्यायालय के साथ-साथ न्यायालय में उपस्थित सभी अधिवक्ताओं के संज्ञान में था कि मूल शिकायत का पता नहीं लगाया जा सकता है और केवल इसी कारण से SHO पीएस पालम विहार, गुरुग्राम को बार-बार न्यायालय में बुलाया गया है और वह कभी भी न्यायालय में उपस्थित नहीं हुए।
उक्त मूल शिकायत साक्ष्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और अदालत में इसके गैर-उत्पादन के अपने प्रभाव होंगे और अदालत की एकमात्र चिंता अदालत में मुख्य शिकायत का उत्पादन सुनिश्चित करना है। इसके विपरीत पुलिस अधिकारी इसे इतने हल्के में ले रहे हैं कि उक्त मूल शिकायत का पता लगाने के लिए ईमानदारी से प्रयास नहीं किए गए हैं और इन परिस्थितियों में, यह न्यायालय श्री DCP (करण गोयल) को तलब करने के लिए बाध्य है। डीसीपी, गुरुग्राम जो पुलिस स्टेशन पालम विहार के क्षेत्र की देखरेख कर रहे हैं। गुरुग्राम और उन्हें उक्त शिकायत की अनुपलब्धता के स्पष्टीकरण के साथ अदालत के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है। क्योंकि वर्तमान मामला वर्ष 2013 से संबंधित है और अभी भी लंबित है और संभवतः यह इस न्यायालय का सबसे पुराना मामला भी है।
आगे देखना यह होगा कि मामले में डीसीपी पेश होकर साक्ष्य पेश करेंगे या कोई अन्य बहाना बनाकर आगामी तारीख ले लेंगे।