Court Decision: (बैतूल)। विशेष न्यायाधीश, अनन्य विशेष न्यायालय, (पॉक्सो एक्ट) बैतूल ने 17 वर्ष की अवयस्क बालिका का अपहरण कर उसके साथ बलात्कार करने वाले आरोपी को 20 साल के कठोर कारावास और 7 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है। आरोपी गोविन्दा पिता सलमत परते, उम्र 28 वर्ष निवासी थाना शाहपुर जिला बैतूल को यह सजा सुनाई गई है। आरोपी को धारा 376 ( 2 ) (एन) भादवि में 20 वर्ष कठोर कारावास व 3,000रु. जुर्माना, धारा 376 (2) (एम) भादवि में 20 वर्ष कठोर कारावास व 3,000रु. जुर्माना एवं धारा 376 ( 2 ) (एन) भादवि में 03 वर्ष कठोर कारावास व 1,000रु. जुर्माना से दंडित किया गया है।
प्रकरण में शासन की ओर से जिला अभियोजन अधिकारी/विशेष लोक अभियोजक एसपी वर्मा एवं वरिष्ठ सहायक जिला अभियोजन अधिकारी/अनन्य विशेष लोक अभियोजक ओमप्रकाश सूर्यवंशी द्वारा पैरवी की गई। अनन्य विशेष लोक अभियोजक श्री सूर्यवंशी ने प्रकरण की जानकारी देते हुए बताया कि पीड़िता के भाई फरियादी ने 20 मार्च 2021 को पुलिस थाना शाहपुर में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई कि 10 जनवरी 2021 को पीड़िता, जिसकी उम्र 17 वर्ष की है, उसकी मां से साड़ी सिलवाने शाहपुर जाने का बोलकर गई थी। वह घर नहीं लौटी। उन्होंने पीड़िता के फोन नंबर पर फोन लगाया था पर उसका नंबर बंद था। फरियादी ने बहन की तलाश आसपास व रिश्तेदारी में की पर पीड़िता नहीं मिली।
पीड़िता के भाई ने गांव के गोविन्दा परते पर शक जाहिर किया कि वह उसकी बहन पीड़िता को बहला-फुसलाकर भगाकर ले गया है। फरियादी की शिकायत पर पुलिस थाना शाहपुर में अपराध दर्ज कर अनुसंधान प्रारंभ किया गया। अनुसंधान के दौरान पुलिस ने 25 मार्च 2021 को पीड़िता को दस्तयाब किया तथा पीड़िता को उसकी माता के सुपुर्द किया। पीड़िता के 161 एवं 184 दंड प्रक्रिया संहिता के कथन लिये गये जिसमें उसने बताया कि आरोपी गोविन्दा उसे बहला-फुसलाकर ग्राम पाठई एवं इटारसी ले गया और उसके साथ बार-बार बलात्कार किया, जिसके कारण वह गर्भवती हो गई। वहीं विचारण के दौरान न्यायालय में पीड़िता ने आरोपी के द्वारा बलात्कार किये जाने के संबंध में कथन नहीं किए।
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विवेचना के दौरान पीड़िता का मेडिकल परीक्षण कराया गया था। अभियुक्त को गिरफ्तार किया गया। पुलिस थाना शाहपुर द्वारा आवश्यक अनुसंधान पूर्ण कर विवेचना उपरांत अभियोग पत्र अनन्य विशेष न्यायालय (पॉक्सो एक्ट) बैतूल के समक्ष विचारण हेतु प्रस्तुत किया गया। विचारण में अभियोजन ने अपना मामला युक्तियुक्त संदेह से परे प्रमाणित किया जिसके आधार पर न्यायालय (Court Decision) द्वारा आरोपी को दंडित किया गया। न्यायालय में पीड़िता रही पक्षविरोधी न्यायालय में विचारण के दौरान पीड़िता ने अभियोजन की कहानी का समर्थन नहीं किया। उसने उसके साथ कोई घटना होने से इंकार किया परंतु अनुसंधान के दौरान पुलिस अधिकारी द्वारा तैयार किए गये दस्तावेजों एवं वैज्ञानिक साक्ष्य संकलित की गई ।
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प्रकरण में आरोपी का रक्त नमूना एवं पीड़िता एवं उसके नवजात शिशु का रक्त नमूना डीएनए परीक्षण हेतु भेजा गया था। वैज्ञानिक साक्ष्य डीएनए रिपोर्ट के आधार पर पीडिता एवं आरोपी नवजात बच्ची के जैविक माता-पिता होना प्रमाणित हुआ है। जिससे यह प्रमाणित हुआ कि आरोपी ने पीड़िता के नाबालिग रहने के दौरान उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित किये थे। उम्र संबंधित दस्तावेजों के आधार पर पीड़िता 17 वर्ष की आयु की बालिका होना अभियोजन द्वारा प्रमाणित किया गया। प्रकरण में पीड़िता के द्वारा पक्ष समर्थन न किये जाने पर भी पीड़िता के साथ आरोपी के द्वारा बनाये गये शारीरिक संबंध के लिए आरोपी गोविन्दा परते को दोषी पाकर न्यायालय द्वारा दंडित किया गया है। (Court Decision)