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Betul Ki Khabar: निंदा नाशक का छिड़काव करते ही सोयाबीन की फसल हुई बर्बाद, किसानों ने की तहसीलदार से शिकायत

By Ankit

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Betul Ki Khabar: निंदा नाशक का छिड़काव करते ही सोयाबीन की फसल हुई बर्बाद, किसानों ने की तहसीलदार से शिकायत

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Betul Ki Khabar: मुलताई- क्षेत्र के ग्राम धाबला में सोयाबीन की फसल में किसानों द्वारा निंदा नाशक दवा का छिड़काव करते ही फसलें झुलस कर नष्ट हो गई जिससे किसानों को आर्थिक क्षति हुई है। पूरे मामले की शिकायत धाबला के किसानों द्वारा कांग्रेस नेता किशोरसिंह परिहार के नेतृत्व में तहसीलदार मुलताई अनामिका सिंह से करते हुए दवा की जांच के साथ मुआवजे की मांग की गई है।

धाबला के किसान पिंटू खाकरे, गुलशन खातरकर, लक्ष्मीनारायण चौरे, दिनेश पंवार प्रदीप आसोलकर, गणेश धोटे, केशो साहू, गोलू साहू, रमेश धोटे तथा मुकेश चौरे सहित अन्य किसानों ने बताया कि धाबला में किसानों में सोयाबीन की फसल बोई जिसके बाद किसानों द्वारा गांव के ही कृषि दवाई वितरक सोलंकी कृषि सेवा केन्द्र से बेन नाम की दवाई खरीदी। जिसका उपयोग खरपतवार नियंत्रण हेतू किया जाता है तथा दवा के साथ एक अन्य दवा इर्मजाथाईपर में मिश्रित कर फसलों पर छिड़काव किया जाता है। लेकिन दवा के छिड़काव के बाद लहलहाती फसल जलकर नष्ट हो गई जिससे किसानों की मेहनत पर जहां पानी फिर गया वहीं आर्थिक रूप से भी किसान प्रभावित हो गए हैं।

कंपनी पर कार्यवाही की मांग…

किसानों ने फसल खराब होने का कारण दवाओं को बताते हुए फर्जी दवाई बेचने वाली कंपनी पर कार्यवाही की मांग की गई है। इसके अलावा दवाओं को को बेचने वाले दुकानदार भी कार्यवाही के लिए कहा गया हैं। किसानों ने कहा कि किसान दवाओं पर भरोसा करके मंहगी दवाएं खरीदता है लेकिन दवा फर्जी होने से पूरी फसल खाक हो रही है इसलिए ऐसी दवा कंपनियों तथा इसे बेचने वाले दुकानदारों पर कड़ी कार्यवाही करना आवश्यक है।

6 गांवों में फसलें प्रभावित (Betul Ki Khabar)

किसानों के अनुसार सिर्फ धावला में ही दवाओं से फसलें खराब नहीं हुई है बल्कि परसोड़ी, हिड़ली, छिंदखेड़ा, हेटी तथा शेंदूरजना में भी उक्त दवा के छिड़काव से किसानों की फसल खराब हुई है। बताया जा रहा है कि फसलों को खरपतवार से बचाने के लिए निंदा नाशक दवाओं का प्रयोग किया जाता है जिसके लिए किसानों को मंहगे दामों में निंदा नाशक दवाएं खरीदना पड़ता है लेकिन वर्तमान में दवाओं की कोई गारंटी नहीं होने से सीधे इसका प्रभाव फसलों पर पड़ रहा है जिससे किसान की मेहनत व्यर्थ जाती है साथ ही आर्थिक रूप से भी किसान प्रभावित हो रहे हैं।

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