सख्त कानून और कार्रवाई से 2030 तक बाल विवाह को खत्म करने का लक्ष्य
बैतूल। जिले की गैरसरकारी संस्था प्रदीपन की रिपोर्ट के अनुसार, कानूनी कार्रवाई और हस्तक्षेप 2030 तक बाल विवाह को खत्म करने के लक्ष्य की कुंजी हैं। इस रिपोर्ट ने बैतूल और छिंदवाड़ा जिलों में बाल विवाह रोकने के प्रभावी प्रयासों को उजागर किया है। संस्था ने 2023-2024 के दौरान 276 बाल विवाहों को रोका है और इस मुहिम को और भी मजबूत बनाने के लिए सरकारी सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया है।
“टुवार्डस जस्टिस चाइल्ड मेरिज” शीर्षक से जारी इस रिपोर्ट को इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन की शोध टीम ने तैयार किया है। प्रदीपन और चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड 2030 तक देश से बाल विवाह के खात्मे के लिए काम कर रहे बाल विवाह मुक्त भारत के सहयोगी संगठन के तौर पर साथ हैं।
Baal Vivah: प्रदीपन ने 1 वर्ष में रूकवाये 276 बाल विवाह
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संस्था के जिला समन्वयक सुनील कुमार ने बताया कि संस्था के प्रयासों से बैतूल और छिन्दवाड़ा की 300 ग्राम सभाओं ने बाल विवाह मुक्त के लिए संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार बैतूल में बाल विवाह राष्ट्रीय औसत 23.3 प्रतिशत है।
संगठन ने सरकार से अपील की कि वह अपराधियों को सजा सुनिश्चित करे ताकि बाल विवाह के खिलाफ लोगों में कानून का भय पैदा हो सके। आईपीसी रिपोर्ट “टुवार्डस जस्टिस: इडिंग चाइल्ड मैरेज” बाल विवाह के खात्मे के लिए न्यायिक तंत्र द्वारा पूरे देश में फौरी कदम उठाने की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
रिपोर्ट के अनुसार 2022 में देश भर में बाल विवाह के कुल 3563 मामले दर्ज हुए, जिसमें सिर्फ 181 मामलों का निपटारा हुआ। यानी लंबित मामलों की दर 92 प्रतिशत है। मौजूदा दर के हिसाब से इन 3365 मामलों के निपटारे में 19 साल का समय लगेगा।